Types Of Alternator |
हेल्लो फ्रेंड्स आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे Types of Alternator or classification of alternator के बारे में ….| फ्रेंड्स हमारे दैनिक जीवन में हम कई तरह की मशीने देखते हे जिनमे alternator भी शामिल हे | Alternator को AC Generator या synchronous generator के नाम से भी जानते हे इसे हिंदी भाषा में प्रत्यावार्तक कहा जाता है | alternator के प्रकार और उनका वर्गीकरण जानने से पहले यदि आपने alternator के बारे में हमारे पिछले आर्टिकल नही पढ़े हे तो आप यहाँ से उन्हें पढ़ सकते है –
अल्टरनेटर के प्रकार ( Types Of Alternator)
alternator को निम्न आधार को ध्यान में रखते हुए वर्गीकृत किया जाता है –
1. फेज की संख्या के आधार पर –
हम alternator को किस जगह पर उपयोग में ले रहे है उसके अनुसार alternator फेज का चयन किया जाता | सामान्यत फेज की संख्या के आधार पर alternator दो प्रकार के होते है –
( i ) सिंगल फेज alternator – इसमें एक फेज वायर तथा एक न्यूट्रल वायर होता हे जिसके द्वारा हम लाइट & फेन सर्किट को ओन कर सकते हे |
( ii ) पालीफेज alternator – नॉर्मली हम तीन फेज वाले alternator को पाली फेज या बहु कला प्रत्यावार्तक के नाम से जानते हे इसमें फेज की संख्या 3 होती हे इसका उपयोग घरेलु एवं औद्योगिक दोनों क्षेत्रो में आसानी से किया जा सकता है | यह अलग – अलग KVA मात्रा में उपलब्ध होते है |
2. प्राइम मूवर के आधार पर –
alternator की शाफ़्ट को घुमाने वाले यंत्र प्राइम मूवर के आधार पर alternator को निम्न प्रकार से वर्गीकृत करते हे –
( i ) तेल इंजन alternator – वर्तमान से सबसे ज्यादा छोटे औद्योगिक तथा कम मात्र की KVA क्षमता के लिए यह alternator ज्यादा उपयोग में आता है | इसमें alternator की शाफ़्ट एक इंजन की शाफ़्ट के साथ कपल होती हे | इंजन के द्वारा alternator की शाफ़्ट को घुमाने से alternator बिजली उत्पन्न करना शुरू कर देता है |
( i i ) वाष्प टरबाइन alternator – इस प्रकार के alternator में एक पानी उबलने वाले बोइलर में पानी से वाष्प तैयार की जाती हे तथा इस वाष्प को तेज गति से एक टरबाइन में छोड़ी जाती है जिससे टरबाइन घुमाता है और टरबाइन के साथ जुडी alternator की शाफ़्ट घुमती हे जिससे बिजली उत्पन्न होना शुरू हो जाती है |
( i i i ) जल टरबाइन alternator – इस प्रकार के alternator किसी नदी या बांध पर उपयोग किया जाता है जिसमे नदी के पानी को बाँध की सहायता से रोक कर पानी की धारा को एक जल टरबाइन में छोड़ा जाता है जिससे टरबाइन घूमता हे और इस टरबाइन के साथ गियर के से जुडी हुयी alternator की शाफ़्ट घुमती हे और alternator बिजली पैदा करने लगता है |
3.Excitation विधि के आधार पर –
जैसा हम पहले पढ़ चुके है की जब तक चुम्बकीय क्षेत्र के बिना alternator का कोई महत्व नही हे तो Alternator में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए अलग – अलग विधियाँ उपयोग की जाती है जिनको निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
( i ) पृथक उतेजित alternator – इस प्रकार के alternator में चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करने के लिए बाहरी DC सप्लाई का उपयोग किया जाता है यह DC सप्लाई छोटे DC शंट या कंपाउंड generator से , रेक्टीफायर से प्राप्त करते है |
( i i ) स्व उतेजित Alternator – इस प्रकार के alternator में बाहरी DC सप्लाई की आवश्यकता नही होती है | इन alternator में अवशिष्ट चुम्बकत्व जो पोल में होता है के द्वारा ही चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है और यह चुम्बकीय क्षेत्र फील्ड वाइंडिंग के द्वारा अधिक होता जाता है | सामान्यत इन alternator की output वोल्टेज मैक्सिमम 440 volt तक होती है |
इसके अलावा भी alternator को कई प्रकार से वर्गीकृत करते है
4. पोल की सरचना के आधार पर
5. घुमने वाले भाग के आधार पर , , आदि
उम्मीद करता हूँ इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी आपको पसंद आई होगी | इस आर्टिकल में बस इतना ही ,…. यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आता हे तो निचे दिए गये शेयर बटन का उपयोग कर कृपया अपने साथियो के साथ भी शेयर करे | शेयर करना बिलकुल फ्री है इसका कोई चार्ज नही लगता है |