प्रतिरोध के नियम क्या है | Law of Resistance in Hindi

प्रतिरोध के नियम कौन - कौन से हे


प्रतिरोध के नियम कौन – कौन से हे 

law of Resistance in Hindi 
किसी भी विद्युत परिपथ में प्रतिरोध के बिना किसी भी वैद्युतिक राशी का कोई महत्व नही हे | प्रतिरोध के बिना कोई भी वैद्युतिक सर्किट पूर्ण नही हो सकता | किसी भी वैद्युतिक सर्किट में कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होना हे तथा कितनी वैद्युतिक शक्ति की खपत होना हे यह सारी बाते केवल प्रतिरोध के ऊपर ही निर्भर करती हे | 
 
प्रत्येक चालक , अचालक तथा अर्धचालक का प्रतिरोध मान अलग – अलग होता है | इसीलिए अलग -अलग प्रकार के चालक , अचालक तथा अर्ध्दचालक पदार्थ को वैद्युतिक परिपथ के अलग – अलग कार्यों में उपयोग में लेते हे | 
 
आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे की किसी चालक पदार्थ का प्रतिरोध किन किन बातों पर निर्भर करता हे |तथा प्रतिरोध के मान को कम या अधिक करने के लिए हमे किन -किन नियमो का पालन करना होता हे |
 
हे नमस्कार दोस्तों में सोनु कुमार कछावा … स्वागत करता हूँ आपका एस.के.आर्टिकल डॉट कॉम में … आइये शुरू करते हे आज के इस आर्टिकल को |
 
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प्रतिरोध के नियम क्या है | किसी चालक पदार्थ का प्रतिरोध किन किन बातों पर निर्भर करता हे 
 
किसी भी चालक पदार्थ का उपयोग जब किसी विद्युत परिपथ में किया जाता हे तो उसका प्रतिरोध निम्न बातों पर निर्भर करता हे –


( 1 ) R ∝ l = चालक की लम्बाई पर 
किसी भी चालक तार या पदार्थ की लम्बाई को यदि अधिक किया जाये तो उसका प्रतिरोध मान भी अधिक होता  है | 


( 2 ) R ∝ 1/a = चालक के क्षेत्रफल पर 
किसी भी चालक तार या पदार्थ का कटाक्ष क्षेत्रफल बढाया जाये या कहे की चालक तार की मोटाई अधिक की जाये तो उस चालक का प्रतिरोध कम हो जाता है |

चालक तार की मोटाई अधिक करने से प्रतिरोध कम होता हे तथा मोटाई कम करने से प्रतिरोध अधिक होता है |



( 3 ) चालक की किस्म पर 

R = 𝝆 x l / a

R = चालक तार का प्रतिरोध , ओह्म में 
𝝆 = प्रतिरोधकता , ओह्म सेमी में 
l = प्रतिरोध की लम्बाई , सेमी में 
a = प्रतिरोध का कटाक्ष क्षेत्रफल , वर्ग सेमी में 

अलग अलग धातु के चालक तार का प्रतिरोध अलग अलग होता है | जैसे की लोहे की 1 फिट लम्बी तथा 1 mm मोटाई वाले तार का प्रतिरोध यदि 2 ओह्म हे तो वही ताम्बे के इसी साइज़ के तार का प्रतिरोध 1 ओह्म या इससे कम  हो सकता है |

( 4 ) R ∝ t = चालक के तापमान पर 

जैसे जैसे किसी चालक का तापमान अधिक होता जाता है ,वैसे वैसे उस चालक का प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है | 

यह भी पढ़िए –
वैद्युतिक राशियाँ और उनकी इकाइयाँ क्या है 
चालक , कुचालक तथा अर्द्धचालक पदार्थ किसे कहते हे 


तो दोस्तों ये थे प्रतिरोध के कुछ नियम जिनका पालन कर हम किसी भी विद्युत परिपथ को सही तरीके से उपयोग में ले सकते हे | 
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