वैद्युतिक वायरिंग के नियम |
किसी भी जगह पर वैद्युतिक वायरिंग करते समय हमे कई नियमों को ध्यान में रखना होता है | यह नियम BIS ( ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैण्डर्ड ) ने नेशनल इलेक्ट्रिकल कोड के अनुसार बनाये है जिनका यदि हम पालन करते हुए वायरिंग करते है तो हमे वायरिंग के कई फायदे होते है |
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विजिट करेइस आर्टिकल में हम जानेंगे घरेलु वैद्युतिक वायरिंग के नियम क्या है तथा वायरिंग करते समय किन – किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए |
वैद्युतिक वायरिंग के नियम
1. वायरिंग के लिए जो भी वायरिंग की सामग्री मार्केट से खरीदी जाती है उस सामग्री पर ISI का चिन्ह होना चाहिए | यह चिन्ह हम बताता है की वस्तु की गुणवता अच्छी है |
2. वायरिंग के स्टार्टिंग के कंट्रोलिंग स्विच लगाया जाना चाहिए जिससे पूरी वायरिंग की सप्लाई को एक साथ बंद या चालू किया जा सके |
3. वायरिंग की सुरक्षा के लिए फ्यूज या MCB का उपयोग किया जाना चाहिए | और फ्यूज को हमेशा फेज वायर के श्रेणी क्रम में ही जोड़े |
4. वायरिंग में उपयोग आने वाले न्यूट्रल वायर को कभी भी किसी कण्ट्रोल स्विच या सुरक्षा युक्ति से ना जोड़े | न्यूट्रल वायर के साथ कभी भी फ्यूज नही लगाना चाहिए |
5. सभी कण्ट्रोल बोर्ड के स्विच को हमेशा फेज वायर के श्रेणी क्रम में ही जोड़ा जाना चाहिए तथा स्विच में सप्लाई इनपुट टर्मिनल्स पर ही देनी चाहिए |
6. वायरिंग को दो भागों ‘लाइट एंड फेन’ एवं ‘पॉवर’ सर्किट में बाँटना चाहिए | लाइट सर्किट में पतले वायर तथा कम रेटिंग वाली सामग्री का उपयोग तथा पॉवर सर्किट में मोटे वायर एवं उच्च रेटिंग वाली सहायक सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए |
7. ‘लाइट एंड फेन’ वाले सर्किट में 10 से ज्यादा उप-सर्किट नही होना चाहिए | कहने का तात्पर्य यह है की इस सर्किट में हम न्यूनतम 10 कंट्रोलिंग पॉइंट को जोड़ सकते है जिससे 10 वैद्युतिक उपकरणों को सप्लाई दी जा सके |
8. ‘पॉवर’ सर्किट में 2 से ज्यादा उप-सर्किट नही होना चाहिए | बोले तो कम से कम 2 कंट्रोलिंग पॉइंट होने चाहिए जिसमे पॉवर वाली 2 बड़ी मशीन या उपकरणों को जोड़ा जा सकता है |
9.’लाइट एंड फेन ‘ वाले परिपथ में जोड़े गये 10 पॉइंट में 800 वाट से अधिक पॉवर खपत नही होना चाहिए |
10. ‘पॉवर’ वाले परिपथ में जुड़े 2 पॉइंट में 3000 वाट से अधिक पॉवर खपत नही होना चाहिए |
11. स्विच बोर्ड हमेशा कमरे में इंटर गेट के लेफ्ट हैण्ड साइड पर स्थापित किया जाना चाहिए |
12. स्विच बोर्ड को फर्श से 1.3 मीटर की ऊँचाई पर लगाया जाना चाहिए |
13. भवन में स्थापित सभी प्रकार की लाइट की ऊँचाई फर्श से 2.25 मीटर से कम नही होनी चाहिए |इससे कम ऊँचाई पर प्रकाश पुरे कमरे में तक बराबर मात्रा में नही पहुँच पाता है |
14. लगाये जाने वाले छत के पंखों की ब्लेड की फर्श से ऊँचाई कम से कम 2.4 मीटर और अधिक से अधिक 3 मीटर तक रखी जाना चाहिए |
15. स्नानघर या घर से बहार उपयोग की जाने वाली वैद्युतिक सहायक सामग्री जैसे लैंप होल्डर , स्विच ,सॉकेट आदि जलरोधी ( वाटर प्रूफ ) होना चाहिए |
16. कंट्रोलिंग बोर्ड के साथ उपयोग किया जाना वाला सॉकेट ‘थ्री पिन’ वाला होना चाहिए जिसकी मोटी पिन को हमेशा अर्थ वायर के साथ कनेक्ट किया जाना चाहिए |
17. लाइट एंड फेन परिपथ में 5 एम्पीयर 240 वोल्ट वाला सॉकेट स्थापित किया जाना चाहिए और इस सॉकेट में 100 वाट से अधिक का लोड प्लग इन नही किया जाना चाहिए |
18. पॉवर परिपथ में उपयोग पॉवर सॉकेट भी थ्री पिन वाला ही होना चाहिए साथ ही इस सॉकेट को अधिकतम 1000 वाट के लोड के साथ प्लग इन किया जा सकता है |
19. वायरिंग में उपयोग सभी धातु की बॉडी वाली सामग्री तथा उपकरण जैसे मेन स्विच , डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स आदि की बॉडी को अर्थ तार से जोड़ा जाना चाहिए |
20. वायरिंग में उपयोग आने वाले अर्थ तार में कभी भी कोई भी स्विच या फ्यूज नही लगाना चाहिए |
21. फ्यूज हमेशा केवल फेज वायर के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाना चाहिए तथा इसी वायर के साथ सभी स्विच एवं नियत्रण सामग्री जुडी होना चाहिए |
22. थ्री फेज की वायरिंग में प्रत्येक फेज वायर के लिए निर्धारित कलर कोड के वायर का ही उपयोग किया जाना चाहिए जिसमे फेज वायर के कलर RYB यानि लाल , पिला तथा नीला रखा जाता है |
23. थ्री फेज की वायरिंग में तीनो फेज पर लोड का मान समान होना चाहिए | सर्किट बैलेंस्ड होना चाहिए इससे वोल्टेज ड्राप तथा वोल्टेज अप की समस्या नही होती है |
24. किसी भी प्रकार की नई वायरिंग को स्थापित किये जाने के बाद मेगर से जाँच अवश्य करे और सही पाए जाने की स्थिति में ही उसे सप्लाई के साथ संयोजित करे |
25. मेगर द्वारा जब भी वायरिंग की जाँच करे तो लीकेज करंट परिक्षण अवश्य किया जाना चाहिए और लीकेज करंट का मान सर्किट की कुल करंट के 1/5000 वें भाग से अधिक नही होना चाहिए |
26. लाइट एंड फेन सर्किट तथा पॉवर सर्किट का इंस्टालेशन भारतीय विद्युत् अधिनियम 1956 के अंतर्गत ही की जानी चाहिए |
27. वायरिंग में प्रयुक्त साधारण बोर्ड की मोटाई 4 cm से अधिक नही होना चाहिए तथा कब्जयुक्त बोर्ड की मोटाई 6.5 सेंटी मीटर तथा 8 सेंटी मीटर के बिच होनी चाहिए |
28. कोई भी वायरिंग करने से पहले उसका ले आउट परिपथ खिंच लेना चाहिए |
29. PVC कैस्सिंग कैपिंग वायरिंग में एक ग्रिप से दुसरे ग्रिप की अधिकतम दुरी 30 cm से अधिक नही होनी चाहिए |
30.वायरिंग के सही परिक्षण के लिए मेगर का ही उपयोग किया जाना चाहिए |
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House Wiring Rules IMP Questions Answers
उत्तर-: सभी उपकरणों के लोड को सप्लाई के साथ कनेक्ट करने की सरल क्रिया को वायरिंग कहा जाता हैं।
उत्तर-: वायरिंग पद्धति में दो प्रकार की होती हैं- 1. ट्री प्रकार की 2. डिस्ट्रीब्यूशन प्रकार
उत्तर-: वायरिंग शुरु करते समय सबसे ज्यादा जरूरी B. I. S. नियम का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर-: बोर्ड की जमीन से उचाई 1.5 मीटर की होनी चाहिए।
उत्तर-: फ्यूज को फेज वायर के सीरीज में जोड़ना चाहिए।
उत्तर-: निम्न प्रकार की होती है- 1. क्लिट वायरिंग 2. सी. टी. सी. वायरिंग 3. केसिंग- कैपिंग वायरिंग 4. कंड्युट पाइप वायरिंग
उत्तर-: पी वी सी केसिंग कैपिंग वायरिंग में वायर की मोटाई 1.5 mm होनी चाहिए।
उत्तर-: नमी वाली जगह पर सी टी एस वायरिंग की जाती है।
उत्तर-: कंड्युड वायरिंग अधिक आग और मैकेनिकल से सुरक्षित होती है।
उत्तर-: नयी वायरिंग में इंसुलशन राजिस्टेंस एक मेगा ओह्म से कम नही होना चाहिए।
घरमे कितने mm का वायर use कारणा चहिये
घरेलु वायरिंग में 1 mm , 1.5mm लाइट एंड फेन सर्किट के लिए उपयोग कर सकते है | यदि पॉवर सर्किट है तो आप 3mm का वायर उपयोग कर सकते है