Alternator Working Principle In Hindi | प्रत्यावार्तक का कार्य सिधान्त क्या है

Alternator Working Principle In Hindi
Alternator Working Principle In Hindi
फ्रेंड्स इस आर्टिकल में हम पढने वाले हे Alternator Working Principle in hindi मतलब alternator के कार्य सिधान्त के बारे में की किस प्रकार से एक alternator हमे AC ( Alternating Current ) देता हे | Alternator working principle के बारे में जानने से पहले हमे alternator तथा alternator के parts के बारे में जानना आवश्यक हे यदि आपने हमारा पिछला आर्टिकल नही पढा जिसमे बताया गया हे की Alternator क्या हे और alternator में कौन -कौन से भाग होते हे तो आप उसे यहाँ से क्लिक कर पढ सकते है |
आइये अब जानते हे Alternator working Principle के बारे में –


Alternator working Principle In Hindi – 

अल्टरनेटर का कार्य सिध्दांत –  
 
Alternator फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सिध्दांत ( Electro Magnetic Induction ) पर कार्य करता है | फैराडे का विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सिध्दांत बताता हे की ” यदि चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य चालक को इस प्रकार घुमाया जाए की चालाक चुम्बकीय बल रेखाओ का छेदन करे या यूँ कहे की चुम्बकीय बल रेखाओ को काटे तो उस चालाक में विद्युत वाहक बल पैदा हो जाता है “| 
 
 
Working Of an Alternator | अल्टरनेटर की कार्य प्रणाली 
फ्रेंड्स alternator हमे output वोल्टेज कैसे देता हे इसके लिए दो parts महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हे पहला जो parts हे वो हे रोटर तथा दूसरा parts स्टेटर | जैसा की आप अभी Alternator के working principle में पढ चुके हे की चुम्बकीय क्षेत्र में चालक को घुमाएंगे और चालक चुम्बकीय बल रेखाओ को काटेगा तभी विद्युत वाहक बल उत्पन्न होगा | तो इसके लिए हम एक बात को समझ ले की यदि अधिक KVA क्षमता वाला alternator हुआ तो इस प्रकार के alternator में रोटर का उपयोग चुम्कीय क्षेत्र तथा स्टेटर का उपयोग चालक के रूप में किया जाता है | लेकिन छोटी या कम KVA क्षमता वाले alternator में रोटर का उपयोग चालक तथा स्टेटर को चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में उपयोग करते है | 

 
👉 ⟶ छोटे alternator से विद्युत वाहक को बल को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले alternator की शाफ़्ट को किसी प्राइम मूवर के साथ जोड़ा जाता है | प्राइम मूवर alternator की शाफ़्ट को घुमाने वाली मशीन होती हे | जब प्राइम मूवर alternator के रोटर को घुमाना स्टार्ट कर देता हे तो स्टेटर में लगे पोल्स को DC सप्लाई से जोड़ा जाता हे जिससे स्टेटर में एक स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है | इस चुम्बकीय क्षेत्र को जब प्राइम मूवर के द्वारा घुमाये जाने वाले रोटर की वाइंडिंग के चालक काटते हे तो उन चालक में फैराडे के विद्युत चुम्बकीय सिध्दांत के अनुसार विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है | 
 
👉 ⟶ alternator के स्टेटर को DC सप्लाई कई तरीको से दी जा सकते है –
 1. एक्साइटर के द्वारा – 
यह छोटे आकर का DC शंट या कंपाउंडर जनरेटर होता है जिसकी क्षमता 220 volt DC होती हे | इसे  alternator की शाफ़्ट पर कपल किया जाता है |
 
2. रेक्टीफायर के द्वारा – 
यह एक पॉवर ब्रिज रेक्टीफायर होता है जिसे सिंगल फेज 230 volt की AC सप्लाई से जोड़ने पर यह 230 volt की DC सप्लाई देता है जिसे हम स्टेटर पोल को देते हे | और स्टेटर पोल चुम्बकित हो जाते है |
 
3. अवशिष्ट चुम्बकत्व द्वारा – 
कुछ alternator के स्टेटर पोल जो की सिलिकॉन स्टील की पटलित पत्तियों से बनाये जाते है जिनके उपर पोल वाइंडिंग लपेटी जाती है | इन पोल में चुम्बकीय विधि द्वारा उत्पन्न अवशिष्ट चुम्बकत्व होता है  | 
जब इस कम मात्रा के चुबकिय क्षेत्र में रोटर घूमता हे तो रोटर में भी कम ही मात्रा का वोल्टेज उतपन्न होता है जब रोटर में उत्पन्न वोल्टेज रेक्टीफायर से जोड़ते हे और इस रेक्टीफायर वोल्टेज से प्राप्त DC स्टेटर पोल को डी जाती हे जिससे वहां पहले से कुछ ज्यादा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता हे और रोटर वोल्टेज अधिक हो जाता है | 
 
 
तो यह थी alternator working principle के बारे में कुछ सामन्य जानकारी | 
 
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